ब्लड कल्चर टेस्ट क्या होता है और कैसे किया जाता है | Blood culture test in Hindi.

ब्लड कल्चर टेस्ट क्या होता है और कैसे किया जाता है | Blood culture test in Hindi.  नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस पोस्ट “Blood culture test in Hindi ” में. आज के इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे कि Blood culture test क्या होता है और यह क्यों किया जाता है.साथ … Read more

Platelets count in Hindi | Platelet count कैसे किया जाता है?

 Platelets count in Hindi | Platelet count कैसे किया जाता है? 

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस पोस्ट “Platelets count in Hindi ” में.आज आप जानेंगे कि Platelets क्या होता है और यह क्यों किया जाता है.साथ ही आप जानेंगे कि platelets का नार्मल रेंज कितना होता है और platelets count कैसे किया जाता है. इसलिए आशा करता हूं कि आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ेगें और समझेंगें. 

Platelets count in Hindi | Platelet count कैसे किया जाता है?
Platelets count in Hindi. 

    Platelets क्या है ?(What is platelet in Hindi). 

    Platelets एक छोटी रक्त कोशिका होती है जो हमें चोट लगने या कटने पर खून के बहाव को रोकने और थक्का बनाने का काम करता है.प्लेटलेट्स को thrombocytes भी कहा जाता है.Platelets की संख्या को मापने के लिए platelets count test किया जाता है. हमारे शरीर में platelets की संख्या में कमी,कई प्रकार की बीमारियों का संकेत देता है. 

    Platelet count test क्या है? (What is Platelets count test in Hindi). 

    Platelet count एक प्रकार का रक्त परीक्षण है, जो ब्लड से किया जाता है. इस टेस्ट के द्वारा हमारे ब्लड में उपस्थित platelets की संख्या का पता लगाया जाता है. हमारे ब्लड में प्लेटलेट्स की संख्या 1.5 – 4.0 लाख प्रति माइक्रोलीटर होता है.हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या का समान्य होना बहुत ही आवश्यक होता है.

    Platelets count क्यों किया जाता है? 

    प्लेटलेट्स की संख्या का पता लगाने के लिए Platelet count test किया जाता है. साथ ही डॉक्टर platelets count करने की सलाह इसलिए भी देते हैं, जिससे उन्हें पता लग सकें कि बौन मैरौ में प्लेटलेट्स का निर्माण सही हो रहा है या नहीं या फिर बौन मैरौ की समस्या का पता लगाने के लिए भी यह टेस्ट किया जाता है. 

    बौन मैरो डीजीज या समस्या के कारण भी प्लेटलेट्स की संख्या में कमी होती है.इसके अलावा और भी कई कारण होते हैं जिससे प्लेटलेट्स की संख्या में कमी होती है तो चलिए जानतें हैं कि प्लेटलेट्स की संख्या में कमी क्यों होती है.

    Platelets के कमी होने के कारण –

    प्लेटलेट्स की संख्या में कमी होने के कई कारण होतें हैं, उनमें से कुछ ऐसी बीमारियां भी होती जिसमें प्लेटलेट्स की संख्या में कमी होती है. खासकर डेंगू जैसी बीमारियों में प्लेटलेट की संख्या बहुत ही ज्यादे कम हो जाती है. ऐसे और भी कारण हैं जो निम्न हैं –

    • एनिमिया में जैसे कि Aplastic anemia 
    • कीमोथेरेपी 
    • सिरोसिस 
    • वायरल डीजीज जैसे HIV, Chickenpox 
    • Iron की कमी से 
    • Leukemia में 
    • बहुत ज्यादा शराब पीने से 

    इनके अलावा और भी कई ऐसे दवाइयों के कारण भी प्लेटलेट्स की संख्या कम बनता है.उन दवाइयों का साईड ईफैक्ट होने के कारण भी प्लेटलेट्स की संख्या कम बनता है. जैसे कि मिर्गी में दी जाने वाली दवाई के कारण.प्लेटलेट्स की कमी होने से हमें कई प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो चलिए जानतें हैं कि प्लेटलेट्स की कमी होने से कौन-कौन से लक्षण दिखाई देता है. 

    प्लेटलेट्स की कमी के लक्षण –

    जब भी आपके शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है तो इस स्थिति में कुछ इस प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं. जैसे कि –

    • चोट लगने पर लम्बे समय तक खून बहना 
    • नाक से खून बहना 
    • लाल या नीले रंग के छोटे चकते होना 
    • पैशाब में खून आना 
    • मासिक धर्म अधिक रक्तस्राव 
    • मल में खून आना 

    इस तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इसके अलावा यदि आपको मल में या फिर पैशाब में खून आ रहा है तो इसे नजरअंदाज ना करें और डॉक्टर से सलाह जरूर लें. 

    Platelet count test कैसे किया जाता है? 

    Platelet count करने के लिए आपके बाजू से ब्लड सैम्पल लिया जाता है. यह टेस्ट सामान्यत: CBC test के साथ ही रूटीन चैकअप टेस्ट की तरह की जाती है.

    जो CBC analyzer के द्वारा बहुत ही आसानी से हो जाता है परंतु आज हम manually, Neubaur chamber या counting chamber के द्वारा platelets count करना सीखेंगे. तो चलिए जानतें हैं कि Neubaur chamber से प्लेटलेट काउंट कैसे किया जाता है. 

    Requirement for platelet count –

    1. Neubaur chamber or Counting chamber 
    2. Blood 
    3. Platelet diluting fluid 
    4. Cover slip 
    5. Test tube 
    6. Micro pipette 
    7. Microscope 

    Platelet count करने की विधि –

    Platelet count करने के लिए सबसे पहले neubaur chamber को अच्छे से साफ कर ले. 

    1. उसके बाद एक टेस्ट ट्यूब लें, जो अच्छी तरह से साफ और सूखा होना चाहिए. फिर उसमें 1990 microlitre Platelet diluting fluid ले लीजिए. 
    2. फिर उसी tube में pipette की सहायता से 10 microlitre Blood लेकर दोनों को अच्छे से मिक्स करलें. 
    3. उसके बाद साफ किया हुआ Neubaur chamber लेकर उसे cover slip से ढक दें और 
    4. फिर pipette से 10 microlitre मिक्स किया हुआ dilution लेकर ,Neubaur chamber पर डाल दें या चार्ज कर दें. (Neubaur chamber पर dilution डालते समय ध्यान रहे कि कोई Bubbles ना बने और अच्छे से chamber fill हो जाए). 
    5. फिर उसे 2-3 मिनट के लिए छोड़ दे और उसके बाद microscope पर 10x  या 40x पर दैखें और count करें. 

    Microscope के द्वारा count करने के बाद उसका calculation करकें रिपोर्ट दिया जाता है. 

    Calculation of platelate count by neubaur chamber – 

    Calculation = No. Of platelate count * dilution / number of area count 

                        = No. Of Platelate count * 200 / (80/400)

                        = X  * 200/ (1/5)

                        = X  * 200*5  = X * 1,000 

    Explain-

    1990 microlitre platelet diluting fluid + 10 microlitre blood मिलाकर टोटल 2000 microlitre होता है. जिसे ब्लड की मात्रा यानि 10 से भाग देकर Dilution निकाला जाता है. इस तरह dilution 2000/10=200 होता है. उसके बाद area count में कुल 5 area count किया जाता है जिसमें एक बॉक्स में 16 खाने होतें हैं इस प्रकार 5 बॉक्स में 80 होता है और टोटल 400 होता है इसलिए 80/400 लिखा गया. फिर इसका calculation करने पर यह formula बनता है. 

    Platelet count test का परिणाम –

    यदि प्लेटलेट्स की संख्या नॉर्मल रेंज यानि 1.5-4.0 लाख होता है तो इसे समान्य परिणाम माना जाता है. और यदि प्लेटलेट्स की संख्या 1.5 लाख से कम और 4.0 लाख से ज्यादा होता है तो इसे असमान्य परिणाम कहा जाता है. 

    यदि प्लेटलेट्स की संख्या नॉर्मल रेंज से बहुत कम होता है तो इसे thrombocytopenia कहा जाता है और 

    यदि प्लेटलेट्स की संख्या नॉर्मल रेंज से ज्यादा होता है तो इसे thrombocytosis कहा जाता है. 

    Platelet count की कीमत कितनी होती है? 

    समान्यत: लैब में Platelet count की कीमत लगभग 50 रूपए हो सकता है परन्तु यह टेस्ट CBC test के साथ ही किया जाता है इसलिए इसकी कीमत लगभग 450-600 रूपए तक हो सकती है. यदि इनके साथ अन्य टेस्ट भी लिखा हुआ होता है तो इसकी कीमत और भी ज्यादा हो सकता है. 

    आपने सीखा –

    दोस्तों आज के इस पोस्ट “Platelets count in Hindi ” के माध्यम से आपने जाना कि Platelet क्या होता है और platelet count क्यों किया जाता है. साथ ही आपने और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें. धन्यवाद. 

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    ALP test क्या होता है | ALP (Alkaline phosphatase) test in Hindi .
    ALP test in Hindi.

    ALP (Alkaline phosphatase) test क्या होता है? (What is ALP test in Hindi).

    ALP test यानि Alkaline phosphatase blood test , एक प्रकार का ब्लड जांच है.जिसके द्वारा हमारे ब्लड में उपस्थित Alkaline phosphatase को मापा जाता है. Alkaline phosphatase एक प्रकार का एंजाइम होता है जो हड्डियों, मांशपेशियो,किडनी,हार्ट और खासकर लीवर में पाया जाता है.

     

    ALP test क्यों किया जाता है?

    हमारे शरीर में उपस्थित alkaline phosphatase की मात्रा का पता लगाने के लिए Alkaline phosphatase (ALP) test किया जाता है.ALP test मुख्य रूप से लीवर और हड्डियों की बिमारीयों का पता लगाने के लिए किया जाता है.यह टेस्ट Bile duct में Blockage का पता लगाने के लिए भी किया जाता है और इस टेस्ट के द्वारा हड्डियों की समस्या का भी पता लगाया जाता है.

    लीवर की बीमारियों में भी ALP test का लेवल बढ़ जाता है. ऐसे कई बीमारियों और कंडीशन होते हैं, जिसमें एएलपी का लेवल बढ़ जाता है.तो चलिए जानतें हैं कि किन बिमारीयों में ALP test का लेवल बढ़ जाता है –

    ALP test का मात्रा बढ़ने के कारण –

    ALP test की मात्रा निम्न बीमारियों में बढ़ सकता है. जैसे कि –

    • लीवर सिरोसिस
    • हैपेटाइटिस
    • जॉन्डिस
    • लिम्फोमा
    • ल्यूकिमिया
    • पेजेट रोग
    • रिकेट्स
    • एनिमिया

    ALP test का लेवल बच्चों में ज्यादा होता है.क्योंकि बच्चों की ग्रोथ होती रहती है और उसकी हड्डिया बनती रहती है. इसके अलावा और भी कई बीमारियों में ALP test level बढ़ने का खतरा रहता है.

    परन्तु यह खासकर लीवर या बौन की समस्या होने पर ही बढ़ता है.किसी भी बीमारी का सही से पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको और भी कई टेस्ट कराने की सलाह देते हैं जिससे कि वह उस बीमारी का पता लगा सके और आपका ईलाज सही से कर सकें.

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    ALP test कब कराया जाता है?

    जब डॉक्टर को यह लगता है कि मरीज को लीवर संबंधित समस्या है या फिर बौन संबंधित समस्या है, तो ALP test लिखा जाता है. साथ ही यदि डॉक्टर को मरीज में कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो भी यह टेस्ट कराया जा सकता है. जैसे कि –

    • जी मचलना
    • दस्त होना
    • पीला पैशाब आना
    • पेट में दर्द
    • त्वचा का रंग पीला होना
    • कमजोरी महसूस होना

    ALP test कराने से पहले –

    ALP test कराने से पहले कम से कम 8-12 घंटे का उपवास जरूरी होता है यानि टेस्ट कराने से पहले किसी भी चीज का सेवन ना करें.यदि किसी दवाई का सेवन कर रहे हैं तो उसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें.क्योंकि कई ऐसे दवाई होते हैं जो टेस्ट रिपोर्ट को प्रभावित कर सकते हैं.

     

    ALP test कैसे किया जाता है?

    ALP test करने के लिए ब्लड सैम्पल की जरूरत होती है, जो आपके बाजू से लिया जाता है और फिर लैब में जाँच किया जाता है.कई सारे लैबों में यह जांच fully automated या semi analyzer से भी किया जाता है, जिससे यह टेस्ट करना बहुत आसान हो गया है.परन्तु अभी भी कई ऐसे लैब हैं जिसमें यह टेस्ट manually Colorimeter से किया जाता है.

     

    ALP test का परिणाम –

    ALP test का परिणाम व्यक्ति के लिंग, उम्र के अनुसार अलग-अलग होता है.जो समान्यत: 4-11 KA unit या 37-116 unit /litre  होता है.

    लड़को में

    • 1-3 वर्ष: 104-345 U/L
    • 4-6 वर्ष: 93-309 U/L
    • 7-9 वर्ष: 86-315 U/L
    • 10-12 वर्ष:  42-362 U/L
    • 13-15 वर्ष: 74-390 U/L
    • 16-18 वर्ष: 52-171 U/L

    लड़कियों में

    • 1-3 वर्ष: 108-317 U/L
    • 4-6 वर्ष: 96-297 U/L
    • 7-9 वर्ष: 69-325 U/L
    • 10-12 वर्ष: 51-332 U/L
    • 13-15 वर्ष: 50-162 U/L
    • 16-18 वर्ष: 47-119 U/L
    असमान्य परिणाम लीवर की बीमारियों के होने का संकेत देता है या फिर हो सकता है कि आपके बौन में किसी प्रकार की समस्या हो.

    ALP test की कीमत कितनी होती है?

    ALP test की कीमत लगभग 200-250 रूपए तक हो सकती है.चूकि यह टेस्ट अकेले नहीं किया जाता इसके साथ और भी कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं. इसलिए इसकी कीमत उस टेस्ट के अनुसार और भी ज्यादा हो सकती है. यह अलग-अलग लैबों के अनुसार अलग-अलग होता है.

     

    आपने सीखा –

    दोस्तों आज के इस पोस्ट “ALP test in Hindi ” के माध्यम से आज आपने जाना कि ALP यानि Alkaline phosphatase test क्या होता है और यह क्यों किया जाता है. साथ ही आपने और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें. धन्यवाद.

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    PT INR test क्या होता है | PT INR test in Hindi.
    PT INR test in Hindi.

     

    जब भी आपको किसी जगह कट जाए या चोट लगने से खून बहने लगता है तो आप अपने अंगुलीयों से दबाकर या पट्टी बांधकर खून का बहना बंद कर देते हैं और खून बहना बंद भी हो जाता है. परंतु क्या आप जानते हैं कि जितना आसान यह लगता है उतना ही कठिन प्रक्रिया होने के बाद, खून का बहना बंद होता है.इसे जमाने या बंद करने में clotting factor का ही काम होता है.इन्ही में से एक है Prothrombin ,जिसके बारे में हम आगे जानने वाले हैं.

     

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    Prothrombin Time test क्या है ?(What is PT INR test in Hindi).

    Prothrombin time एक ब्लड जांच है.इसे PT या PTT test भी कहा जाता है.इसका रिपोर्ट INR (International normalised ratio) में दिया जाता है. Prothrombin एक ऐसा पदार्थ है,जो लीवर द्वारा स्रावित होता है. यह 13 प्रकार के clotting factor में से एक है जो ब्लड को थक्का बनाता है.

     

    PT test क्यों किया जाता है?

    Prothrombin time test मुख्य रूप से Bleeding disorder का पता लगाने के लिए किया जाता है यानि कि Bleeding से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का पता लगाने के लिए PT test किया जाता है.

    कई बार डॉक्टर यह टेस्ट दवाइयों का असर जानने के लिए भी कराने की सलाह  देते हैं.यदि किसी व्यक्ति की सर्जरी हो रही हो तो सर्जरी से पहले भी यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है.

     

    PT test कब किया जाता है?

    PT test कराने की सलाह डॉक्टर द्वारा निम्नलिखित स्थितियों में दी जाती है. जैसे कि –

    • यदि किसी व्यक्ति काे चोट लगने या कट जाने पर ब्लड आसानी से बंद नही होता है तो डॉक्टर PT INR test कराने की सलाह देते हैं.
    • सर्जरी में – किसी भी तरह की सर्जरी से पहले यह टेस्ट किया जाता है और देखा जाता है कि मरीज का खून सही से थक्का बन रहा है या नहीं.इसका मकसद यह होता है कि कही आपका खून ज्यादा पतला तो नहीं हो गया है, अगर ऐसा होता है तो इससे बहुत ज्यादा बिल्डिंग होने का खतरा रहता है.
    • लीवर की बीमारी की जांच करने के लिए.
    • दवाओं की प्रतिक्रिया और अन्य बीमारियों का पता लगाने तथा ईलाज करने के लिए भी यह जांच किया जाता है.

    लीवर की बीमारी और Vitamin K की वजह से भी ब्लीडिंग डिसऑडर हो सकता है.यदि आपको इनमे से कोई भी समस्या है तो डॉक्टर आपके कंडीशन को मॉनिटर करने के लिए भी PT test करा सकते हैं.ताकि यह पता चल सके कि ब्लड सही से clot हो रहा है की नहीं.

    PT test कराने से पहले –

    PT test कराने के लिए किसी अन्य तैयारीयों की जरूरत नहीं होती है और ना ही इसके लिए उपवास की जरूरत होती है. यह टेस्ट आप कभी भी करा सकते हैं.परन्तु कुछ बातों का ध्यान रखें कि यदि आप ब्लड को पतला करने वाली दवाइयों या अन्य किसी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो उसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें.

     

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    PT test कैसे किया जाता है?

    PT test करने के लिए आपसे ब्लड सैम्पल लिया जाता है और फिर इसका टेस्ट किया जाता है. आज के समय में यह टेस्ट fully automated analyzer के द्वारा किया जाता है. जिससे टेस्ट करना बहुत ही आसान होता है. परन्तु अब भी कई लैबों में यह टेस्ट manually किया जाता है.

    PT test का परिणाम –

    PT (Prothrombin time)  test  का परिणाम कई कंडीशनों पर निर्भर करता है. जैसे कि यदि आप खून को पतला करने वाली दवा नहीं खा रहें हैं तो –

    PT test – 11-14 second

    PT INR – 0.8- 1.2 होता है और यदि आप खून को पतला करने वाली दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो यह 2-3 हो सकता है.

     

    PT test की कीमत कितनी होती है?

    अन्य टेस्ट के तरह ही PT INR test की कीमत भी अलग-अलग लैबों में अलग-अलग होती है. जो सामान्यतः 250-350 रूपए तक हो सकती है. यह आपके द्वारा चुने गए लैबों पर निर्भर करता है कि वह कितना रूपए लेता है.

     

    FAQ for PT INR test in Hindi –

    Q. पीटी आईएनआर बढ़ने से क्या होता है?

    यदि किसी व्यक्ति काे चोट लगने या कट जाने पर ब्लड आसानी से बंद नही होता है तो डॉक्टर PT INR test कराने की सलाह देते हैं. सर्जरी में – किसी भी तरह की सर्जरी से पहले यह टेस्ट किया जाता है और देखा जाता है कि मरीज का खून सही से थक्का बन रहा है या नहीं.

     

    Q. पीटी आईएनआर टेस्ट क्यों किया जाता है?

    एक पीटी/आईएनआर परीक्षण यह पता लगाने में मदद करता है कि आपका रक्त सामान्य रूप से थक्का बना रहा है या नहीं । यह यह देखने के लिए भी जांच करता है कि रक्त के थक्कों को रोकने वाली दवा उस तरह से काम कर रही है जैसे उसे करना चाहिए।

     

    Q. पीटी आईएनआर के लिए सामान्य सीमा क्या है?

    अधिकांश समय, परिणाम को आईएनआर (अंतर्राष्ट्रीय सामान्यीकृत अनुपात) कहा जाता है। यदि आप रक्त को पतला करने वाली दवाएं, जैसे कि वार्फरिन नहीं ले रहे हैं, तो आपके पीटी परिणामों की सामान्य सीमा है: 11 से 13.5 सेकंड । INR 0.8 से 1.1।

     

    Q.सामान्य पीटी और पीटीटी स्तर क्या है?

    APTT की संदर्भ सीमा 30-40 सेकंड है। पीटीटी की संदर्भ सीमा 60-70 सेकंड है । एंटीकोआगुलेंट थेरेपी प्राप्त करने वाले रोगियों में, संदर्भ सीमा सेकंड में नियंत्रण मूल्य का 1.5-2.5 गुना है।

    आपने जाना –

    दोस्तों आज के इस पोस्ट “PT INR test in Hindi ” के माध्यम से आपने जाना कि PT INR test क्या होता है और यह टेस्ट क्यों किया जाता है. साथ ही आपने और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा.

    यदि आपको इस  यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें. धन्यवाद.

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    Mantoux test क्या है |Mantoux test in Hindi.

     Mantoux test क्या है |Mantoux test in Hindi.  नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस पोस्ट “Mantoux test in Hindi ” में. दोस्तों आज हम जानेंगे कि mantoux test क्या होता है और mantoux test कैसे किया जाता है.साथ ही हम जानेंगे कि mantoux test कब और क्यों किया जाता है और mantoux test … Read more