PFT test in Hindi | PFT full form in Hindi.
आज के इस पोस्ट ” PFT test in Hindi ” के माध्यम से आप जानेंगे कि PFT test क्या होता है और यह क्यों किया जाता है. PFT test का फुल फॉर्म क्या होता है, PFT test का नार्मल रेंज कितना होता है और यह कब कराया जाता है.इसके अलावा PFT test से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारीयों को जानेंगे तो चलिए जानतें हैं PFT test क्या है?
PFT test क्या है? (What is PFT test in Hindi)
PFT का फुल फॉर्म यानि पूरा नाम Pulmonary function test होता है.Pulmonary function test सिर्फ एक सिंग्ल टेस्ट नहीं है बल्कि यह कई टेस्टों का पैनल है जिसमें मुख्यतः तीन टेस्ट किए जाते हैं.ये तीन टेस्ट spirometry test, plethysmography test और Diffusion capacity test किए जाते हैं. जिससे निम्न कारणों का पता लगाया जाता है.
PFT test के अन्य टेस्ट –
Spirometry test – इस टेस्ट के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि आप हवा साँस के द्वारा अंदर लेते हैं और कितनी हवा साँस के द्वारा बाहर छोड़ते हैं यानि इस टेस्ट के द्वारा साँस लेने वाली हवा की मात्रा का पता लगाया जाता है.
Plethysmography test – इस टेस्ट के द्वारा आपके फेफड़ों में मौहजूद गैस की मात्रा का पता लगाया जाता है.जिसे lung volume भी कहा जाता है.
Diffusion capacity test – इस टेस्ट में आपको कुछ गैसों के अंदर साँस लेने को कहा जाता है जिसमें ऑक्सीजन, हिलीयम और कार्बन-डाइॉक्साइड.इससे यह पता लगाया जाता है कि आपके फेफड़े कितने अच्छे तरीके से ऑक्सीजन और कार्बन डाई आक्साइड गैसों कों खून में और पूरे शरीर में ट्रांसफ़र करते हैं.
टोटल लंग्स कैपेसिटी (टीएलसी)- फेफड़ों में हवा भरने की क्षमता.
टाइडल वॉल्यूम – एक बार में सांस लेने या छोड़ने के दौरान हवा की मात्रा।
वाइटल कैपेसिटी -हवा की वह मात्रा, जिसे पूरी तरह से सांस लेने के बाद बाहर निकाला जाता है।
रेजीड्यूल वॉल्यूम- सांस छोड़ने के बाद फेफड़ों में बची हुई हवा की मात्रा
मिनट वॉल्यूम – एक मिनट में सांस के द्वारा छोड़ी जाने वाली कुल हवा
फंक्शनल रेजीड्यूल वॉल्यूम (एफआरसी)- पूरी तरह से सांस छोड़ने के बाद फेफड़ों में बची हुई हवा की मात्रा है
फोर्स्ड वाइटल कैपेसिटी (एफवीसी) -एफवीसी टेस्ट के दौरान शुरुआती तीन सेकंड में छोड़ी जाने वाली हवा की वह मात्रा है, जिसे सांस लेने के बाद तेजी से छोड़ा जाता है। इस पैरामीटर का उपयोग करके हम निम्नलिखित बातों का पता लगा सकते हैं :
फोर्स्ड एक्सिपिरेटरी फ्लो – यह एफवीसी टेस्ट के बीच में मापी गई हवा के प्रवाह की औसत दर है।
फोर्स्ड एक्सिपिरेटरी वॉल्यूम (एफईवी) – यह एफवीसी टेस्ट के दौरान पहले तीन सेकंड में छोड़ी जाने वाली हवा की मात्रा है।
पीक एक्सिपिरेटरी फ्लो रेट – फेफड़ों से हवा को जबरदस्ती बाहर निकालने की सबसे तेज दर नोट की जाती है.
PFT test क्यों किया जाता है?
PFT test के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि आपका फेफड़ा कितने अच्छे तरीके से काम कर रहा है और फेफड़ो से जुड़ी समस्या का पता लगाने के लिए भी यह टेस्ट किया जाता है. निम्न बीमारियों का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जा सकता है. जैसे कि –
- Ashtama
- Allergy
- Respiratory infection
- Lungs fibrosis
- Bronchiectatis
- COPD
- Pulmonary tumor
- Lungs cancer
- Scleroderma
- Abestosis
इस प्रकार की कुछ बीमारीयों का पता लगाने के लिए PFT test किया जा सकता है.
PFT test कब कराया जाता है ?
PFT test यानि Pulmonary function test डॉक्टर द्वारा तब कराने की सलाह दी जाती है जब डॉक्टर को यह लगता है कि मरीज को फेफड़ो से जुड़ी समस्या है या बीमारी है तो PFT test कराने की सलाह दी जाती है.इसके अलावा यदि व्यक्ति में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो भी यह टेस्ट कराने को कहा जा सकता है जैसे कि –
- खांसना
- सांस फूलना
- घरघराहट
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान
PFT test नहीं कराना चाहिए? –
निम्नलिखित स्थितियों से ग्रस्त लोगों को इस परीक्षण से बचना चाहिए –
- श्वसन पथ का संक्रमण
- सीने में दर्द
- सर्दी या जुकाम
- टीबी
- हाल ही में दिल का दौरा पड़ा हो
- हाल ही में आंख की सर्जरी या पेट या छाती की सर्जरी कराई हो
- मस्तिष्क, छाती या पेट में धमनीविकार (रक्त वाहिका की सूजन)
यदि आपको इस प्रकार की समस्या है तो आपको यह टेस्ट नहीं कराना चाहिए.
PFT test कारने से पहले क्या करें?
PFT test कराने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- यदि आप किसी प्रकार की दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो उसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें.
- इस टेस्ट से पहले भर पेट खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे आपको टेस्ट के समय साँस लेने में कठिनाई हो सकती है.
- यदि आप पहले से साँस से जुड़ी समस्या से पीड़ित है और दवाई ले रहे हैं तो उसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें और डॉक्टर के सलाह के अनुसार दवाई बंद करें या लें.
PFT test के साथ किए जाने वाले टेस्ट –
फेफड़े के विकार के लिए, पीएफटी के साथ निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं –
- छाती का एक्स-रे
- सीटी स्कैन
- एमआरआई
- अल्ट्रासाउंड
पूर्ण और सटीक निदान करने के लिए इन टेस्ट के परिणाम रोगी की नैदानिक स्थितियों से जुड़े होने चाहिए। ऊपर मौजूद जानकारी पूरी तरह से सीखने समझने के लिहाज से बताई गई है.
PFT test का परिणाम –
नॉर्मल रिजल्ट :
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट के लिए नॉर्मल रिजल्ट व्यक्ति की उम्र, लिंग और ऊंचाई पर आधारित होता है। पीएफटी के अलग-अलग मापदंडों के नॉर्मल वैल्यू (प्रतिशत में) इस प्रकार हैं :
- पीएफटी नॉर्मल वैल्यू
- एफईवी – 80% से 120%
- एफवीसी – 80% से 120%
- टीएलसी – 80% से 120%
- एफआरसी – 75% से 120%
- आरवी – 75% से 120%
- डीएलसीओ – > 60% से <120%
नॉर्मल रिजल्ट न होना :
यदि रिजल्ट सामान्य नहीं है तो यह फेफड़ों या सीने के रोग से जुड़ा हो सकता है –
- वातस्फीति
- दमा
- क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
- पल्मोनरी फाइब्रोसिस
- स्क्लेरोडर्मा (संयोजी ऊतक का मोटा व सख्त होना)
सारकॉइडोसिस (ऐसी स्थिति, जिसकी वजह से फेफड़ों में सूजन युक्त कोशिकाएं एक साथ जमा हो जाती हैं और परिणामस्वरूप वहां पर गांठ बन जाती है).
Conclusion (PFT test in Hindi) –
आज के इस पोस्ट “PFT test in Hindi ” के माध्यम से आपने जाना कि PFT test क्या होता है और यह क्यों किया जाता है. साथ ही आपने PFT test से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारीयों को जाना.आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपना कमेंट करके जरूर बताएं.. धन्यवाद.
achhi jankari mili aapse aapka bahut bahut dhanyabaad