Torch test in Hindi | Torch test क्या है.
आज के इस पोस्ट “Torch test in Hindi” के माध्यम से आप जानेंगे कि torch test क्या होता है और यह प्रेगनेंसी में क्यों कराया जाता है. साथ ही torch test से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारीयों को जानेंगे तो आशा करता हूं कि आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ेगें और समझेंगें. तो चलिए सबसे पहले जानतें हैं torch test क्या है?
गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जिस वक्त महिलाओं को अपना ध्यान सही से रखना चाहिए, नहीं तो इस अवस्था में कई प्रकार की समस्याएं हो सकती है.प्रेगनेंसी के समय खास देखभाल इसलिए भी जरूरी होती है क्योंकि कई ऐसी बीमारी भी होती है जो माँ के साथ-साथ बच्चों में भी हो सकता है.जिसमें से टॉर्च इन्फेक्शन भी एक है जिसकी वजह से बच्चे को बीमारी हो सकती है.इसलिए गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर जांच जरूर कराए.
Torch test क्या है?
Torch test पाँच टेस्टों का एक समूह है जिसमे कुल पाँच तरह के टेस्ट किए जाते हैं.जो गर्भावस्था के दौरान कराने की सलाह दी जाती है. जिससे पता लगाया जाता है कि जो बच्चा गर्भ में है उसे किसी प्रकार की समस्या तो नहीं है और यदि समस्या होती है तो इसका उचित ईलाज किया जाता है.
Torch test में 5 तरह के टेस्ट किए जाते हैं जो अलग-अलग वायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है जो इस प्रकार है –
T – Toxcoplasmosis (टोक्सोप्लाजमोसिस) – यह इंफेक्शन टोक्सोप्लाज्म गोंडाई परजीवी की वजह से होता है जो कि मुंह से प्लेसेंटा के जरिए शिशु तक पहुंच जाता है. कच्चे और अधपके मीठ और खाने से यह हो सकता है.
O – other infection (अन्य इंफेक्शन ) – एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, चिकन पॉक्स, सिफलिस और क्लाइमैडिया अन्य संक्रमणों में शामिल हैं.सिफलिस बैक्टीरिया से होता है और इससे शिशु के नॉर्मल विकास में बाधा आ सकती है.
Rubella (रूबैला) -इस तरह के इंफेक्शन को जर्मन खसरा कहते हैं और यह संक्रामक होता है.इनमें शरीर पर रैशेज, गले में खराश और हल्के बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं.
Cytomagalo virus (साइटोमेगालोवायरस) – सीएमवी हर्पीस वायरस ग्रुप से है और इसकी वजह से पीलिया, सुनने में कमी, फेफड़ों की परेशानी और मांसपेशियों में कमजोरी होती है.
Herpiscinplex (हर्पीससिंप्लेक्स वायरस 2) – इसमें गुदा या यौन अंगों के आसपास छाले हो जाते हैं.
जब इंफेक्शन हुआ हो उस समय भ्रूण के डेवलपमेंट स्टेज के आधार पर पैथोजीन का प्रभाव अलग-अलग होता है.
Torch test क्यों किया जाता है?
Torch test पाँच अलग-अलग तरह के वायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है. जो कि खासकर गर्भावस्था के दौरान कराने की सलाह दी जाती है. जिससे सिफलीस, हर्पीस, खसरा, HIV,Hepatatis की बीमारी सहित अन्य बीमारियों का भी पता लगाया जाता है.
Torch test कराने से पहले क्या करें?
Torch test कराने से पहले किसी खास तरह के तैयारीयों की जरूरत नहीं होती है परन्तु यदि आप किसी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो उसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें.साथ ही आपको अन्य कोई समस्या भी हो तो उसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं.ताकि डॉक्टर आपकी समस्या को समझ सकें और आपका ईलाज सही से कर सकें.
Torch test कराने के दौरान –
Torch test कराने के दौरान आपके बाजू से ब्लड सैम्पल लिया जाता है जिसके लिए सबसे पहले आपके बाजू पर उस जगह को साफ किया जाता है जहाँ से बल्ड सैम्पल लेना है और फिर एक पतली निडल के द्वारा ब्लड सैम्पल लिया जाता है.जिसके बाद इसे लैब में जाँच किया जाता है.
तो चलिए अब जानतें हैं कि torch test को लैब में जाँच कैसे किया जाता है.
Torch test कैसे किया जाता है?
Torch test करने के लिए आपके बाजू से ब्लड सैम्पल लिया जाता है.जिसे centrifuge machine के द्वारा centrifuge करके सिरम निकाला जाता है और फिर एक नए टॉर्च टेस्ट किट को निकाला जाता है. जिसके बाद-
सबसे पहले टॉर्च टेस्ट किट से किट को निकाल लिया जाता है.
फिर ड्रॉपर की मदद से एक-एक ड्रॉप सिरम पाँचों टेस्ट किट पर डाला जाता है.
जिसके बाद 2 बून्द बफर वाटर को पाँचों टेस्ट किट पर डाला जाता है जिससे सिरम अच्छे से फैल सकें.
उसके बाद लगभग 30 मिनट तक छोड़ दिया जाता है और फिर देखा जाता है कि कौन सा टेस्ट पॉजिटिव है या निगेटिव है. जिसके अनुसार रिपोर्ट दिया जाता है.
Torch test का परिणाम –
आमतौर पर आईजीए, आईजीजी और आईजीएम टेस्ट के रिजल्ट एक साथ बताए जाते हैं। असामान्य रिजल्ट बताता है कि कुछ है जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर रहा है। ऐसी स्थिति में आपको कुछ अन्य जांचें करवानी पड़ सकती हैं। इम्यूनोग्लोबुलिन्स टेस्ट से उपचार नहीं किया जाता है। इस टेस्ट से सामान्य तौर पर बीमारी या तकलीफ का पता लगाया जाता है। कई ऐसी स्थितियां हैं, जो इम्यूनोग्लोबुलिन्स के बढ़े होने या घटे होने से जुड़ी हुई हैं।
बढ़ा हुआ स्तर:
पालीक्लोनल इम्यूनोग्लोबुलिन्स सामान्य तौर पर लिम्फोसाइट्स या प्लाज्मा सेल्स में मौजूद ब्लड सेल ट्यूमर्स में देखे जाते हैं। इन बीमारियों में, इम्यूनोग्लोबुलिन के एक क्लास में बढ़ोत्तरी और अन्य दो क्लासेज में घटोत्तरी देखी जाती है। हालांकि बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के पूरे इम्यूनोग्लोबुलिस का स्तर बढ़ा होता है। दरअसल वो इम्यूकॉम्प्रोमाइज्ड होते हैं क्योंकि ज्यादातर इम्यूग्लोबुलिन्स असामान्य होते हैं और ये इम्यून रिस्पॉन्स में काम नहीं करते हैं।
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घटा हुआ स्तर:
इम्यूनोग्लोबुलिन्स स्तर घटे होने का सबसे सामान्य कारण वो स्थितियां हैं, जो शरीर में इम्यूनोग्लोबुलिन्स के बनने को प्रभावित करती हैं या फिर वो वजह होती हैं, जिनके कारण शरीर में प्रोटीन का क्षय होता है। इम्यूनोसप्रेसैन्ट्स, कॉर्टीकोस्टेरॉयड्स, फेनीटॉइन्स और कार्बमेजपाइन जैसी दवाइयों के कारण से भी इम्यूनोग्लोबुलिन्स में कमी होती है।
Torch test की कीमत कितनी होती है?
Torch test की कीमत अलग-अलग लैबों में अलग-अलग होती है जो सामान्यतः 800-1200 रूपए तक में हो जाता है. जिसे आप अपने सुविधा के अनुसार कभी भी करा सकते हैं.
Conclusion (Torch test in Hindi) –
आज के इस पोस्ट “Torch test in Hindi ” के माध्यम से आपने जाना कि torch test क्या होता है और यह क्यों किया जाता है. साथ ही आपने torch test से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारीयों को जाना. आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपना कमेंट जरूर करें.