EEG क्या होता है -EEG test in Hindi | EEG full form in Hindi.
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस पोस्ट “EEG test in Hindi ” में. दोस्तों आज आप जानेंगे कि EEG क्या होता है और EEG क्यों किया जाता है. साथ ही आपको EEG से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी मिलने वाली है.अतः आशा है कि आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ेगें और समझेंगें
EEG test in Hindi |
EEG क्या होता है? (What is EEG test in Hindi).
EEG का फुल फॉर्म यानि पूरा नाम Electroencephalo gram होता है, जिसे Electroencephalo graphy भी कहा जाता है.यह हमारे ब्रेन की electrical activiy को बताता है.हमारा ब्रेन इन्हीं electrical activities के कारण एक दूसरे से संचार कर पाती है. अगर सरल शब्दों में कहे तो हमारा ब्रेन इन्हीं electrical activity के कारण सारे काम करता है.
इन्हीं इलेक्ट्रीकील एक्टिवीटी के कारण हमारे ब्रेन की सभी एक्टिवीटी को कंप्यूटर के द्वारा एक ग्राफ पेपर पर तैयार किया जाता है.जिसमें कई प्रकार की waves होती है. जिसके आधार पर बीमारी का पता लगाया जाता है. ये electrical waves इस प्रकार है –
Delta waves – यह waves तब होती है, जब व्यक्ति सोया हुआ रहता है या व्यक्ति आराम करने की अवस्था में होता है तो delta waves दिखाई देता है जो ऊपर की चित्र में देख सकतें हैं.
Theta waves – जब व्यक्ति अपने आप को dull feel कर रहा हो तो इस तरह की waves बनती है.
Alpha waves – जब व्यक्ति नार्मल हो तो इस तरह का waves बनता है.
Bita waves – जब व्यक्ति किसी काम में व्यस्त हो और वह पूरी तरह से एक्टिव हो तो इस तरह का waves बनता है.
Gamma waves – जब व्यक्ति किसी काम को कर रहा हो और किसी problems solve कर रहा हो और पूरी तरह से उस व्यक्ति का फोकस उसी काम पर हो तो इस तरह की waves बनती है.
EEG test क्यों किया जाता है?
EEG test मुख्यतः ब्रेन यानि दिमाग की बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है.जो मिरगी जैसी दिमागी बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है.इसके अलावा कुछ अन्य स्थितियों में भी यह टेस्ट कराया जाता है.जैसे कि –
- मिर्गी की बीमारियों में
- मस्तिष्क का ट्यूमर होने पर
- अल्ज़ाइमर रोग में
- मस्तिष्क की शिथिलता जिसके कई कारण हो सकते हैं (एन्सेफालोपैथी)
- मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस)
लगातार कोमा में किसी व्यक्ति में मस्तिष्क की मृत्यु की पुष्टि के लिए ईईजी का भी उपयोग किया जा सकता है.
चिकित्सकीय रूप से प्रेरित कोमा में किसी के लिए एनेस्थीसिया का सही स्तर खोजने में मदद के लिए एक निरंतर ईईजी का उपयोग किया जाता है.
EEG test कब कराया जाता है?
डॉक्टर द्वारा EEG test कराने की सलाह तब दी जाती है जब डॉक्टर को यह लगता है कि मरीज को ब्रेन से जुड़ी समस्या है या उसके लक्षण दिखाई देते हैं तो यह टेस्ट लिखा जाता है. ये लक्षण हैं –
- मनोविकार की स्थिति में
- नींद नहीं आने की समस्या में
- दिमाग में जोरदार दर्द रहने पर
- ब्रेन सही से काम कर रहा है या नहीं.
- दिमाग की सूजन
- दिमाग का कौन सा हिस्सा कितना डैमेज हुआ है
- कोमा की स्थिति में
इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर EEG test कराने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा और भी कारण हो सकते हैं जिनमें डॉक्टर आपको यह टेस्ट कराने की सलाह देते हैं.
EEG test कराने से पहले क्या करें?
EEG test कराने से पहले निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी है. जब भी आप EEG test कराने जाए तो इन बातों का ध्यान अवश्य रखें. जैसे कि –
- टेस्ट के एक दिन पहले अपने बालो को शैम्पू से धोकर अच्छे से सूखा लें.
- बालो पर कोई भी हेयर जेल या ऑइल लगा कर नहीं जाना चाहिए.
- जिस दिन टेस्ट के लिए जाना हो उस दिन चाय-कॉफ़ी नहीं पीना चाहिए.
- यदि धूम्रपान या कोई नशा करते है तो टेस्ट के 1-2 दिन पहले बंद कर दे.
- साथ ही यदि किसी दवाई का सेवन कर रहे हैं तो उसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें.
EEG test कैसे किया जाता है?
EEG test करने के लिए EEG machine होता है जिससे EEG test किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले मरीज के दिमाग छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड्स लगाए जातें है और जिस जगह इलेक्ट्रोड लगाए जातें हैं, वहाँ पर एक विशेष प्रकार की क्रीम लगाई जाती है.
ये इलेक्ट्रोड्स तारों के द्वारा ईसीजी मशीन से जुड़े होते हैं. जो आपके ब्रेन की गतिविधि को यानि electrical activiy को एक ग्राफ के द्वारा दिखाता है और इस टेस्ट में समान्यत: 60 मिनट तक का समय लग सकता है. इस प्रकार से EEG test पूरा होता है.
EEG test का परिणाम –
EEG test कराने के बाद डॉक्टर आपके टेस्ट रिपोर्ट को देखते हैं और उसमें देखते हैं कि electrical waves का EEG report समान्य है या असमान्य. जिसके आधार पर वह आगे की प्रक्रिया करतें हैं.
समान्य परिणाम –
जब EEG टेस्ट ग्राफ में देखा जाता है कि आपके ब्रेन की इलेक्ट्रकील एक्टिवीटी की ग्राफ ठीक है या उसमें कोई गरबरी नहीं है तो रिपोर्ट को नॉर्मल माना जाता है. EEG test का समान्य परिणाम का मतलब है कि व्यक्ति को किसी प्रकार की ब्रेन की समस्या नहीं है और वह ठीक है.
असमान्य परिणाम –
EEG test कराने पर EEG report में बने ब्रेन की electrical activity ग्राफ को देखा जाता है. जो सामान्य नहीं होता है तो उसे असमान्य रिपोर्ट माना जाता है. इसका मतलब होता है कि व्यक्ति को हार्ट की समस्या है.EEG के रिपोर्ट के अनुसार आगे की दवाइयाँ दी जाती है.
कई बार EEG का परिणाम किसी अन्य वजहों से भी असमान्य आ सकता है.
EEG test के जोखिम –
कई बार लोगों का यह सवाल होता है कि क्या eeg test कारने से किसी प्रकार की समस्या होती है या इसके जोखिम होतें हैं तो आपको बता दू कि इसमें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है और यह पूरी तरह से सुरक्षित जांच है.
EEG test की कीमत कितनी होती है?
EEG test की कीमत अलग-अलग लैबों में अलग-अलग होता है जो सामान्यत: 1200-4500 रूपए तक हो सकता है.यह आपके द्वारा चुने गए लैबों पर निर्भर करता है. यह एक समान्य टेस्ट है जिसे आप कभी भी करा सकते हैं.जो एक प्रशिक्षित न्यूरॉलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है.
Conclusion (EEG test in Hindi) –
दोस्तों आपने आज के इस पोस्ट “EEG test in Hindi ” के माध्यम से जाना कि EEG test क्या होता है और यह क्यों किया जाता है. साथ ही आपने और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें. धन्यवाद.