Urine routine test in Hindi | Urine R/M test in Hindi.
आज आपको इस पोस्ट “Urine routine test in Hindi” के माध्यम से, urine analysis से जुड़ी कुछ complete जानकारी मिलेगी. यदि आपको यूरिन से जुड़ी कोई भी समस्या हो रही है और urine report को समझना चाहते हैं. या फिर मेडिकल फिल्ड से जुड़े हैं तो यह पोस्ट जरूर पढ़ें.
Urine routine examination in Hindi. |
Urine routine examination test को urine R/M test भी कहा जाता है. जिसमें urine का complete जाँच की जाती है. इसमें physical examination of urine, chemical examination of urine और microscopic examination of urine किया जाता है.
Urine test कब कराना चाहिए?
दोस्तों, urine किडनी के द्वारा filter होकर हमारे शरीर से बाहर निकलता है.urine में गुलकोज, अमीनो एसिड, इलेक्ट्रोलाइट और अधिक मात्रा में पानी होता है. Urine के द्वारा ही हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों का और अत्यधिक पानी का निष्कासन होता है. इसलिए जब भी आपको मूत्र त्याग करते समय दर्द होता है , जलन होती है या अन्य किसी प्रकार की समस्या आ रही है तो आप इसे अनदेखा ना करें और अपने डॉक्टर से सलाह ले. साथी ही urine culture test जरूर कराएं.
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Urine test कैसे किया जाता है?
जब भी आप यूरिन टेस्ट करवाने जाएंगे तो सबसे पहले आपको एक यूरिन पोर्ट (Pot) दिया जाएगा. जिसमें आपको 5-10 ml यूरीन सैंपल लैब में देना होगा, जिसके बाद इसका परीक्षण किया जाएगा.
Urine routine examination या urine analysis के लिए सुबह का mid urine sample देने से test results अच्छा आता है. दोस्तों यूरिन टेस्ट 3 तरह से किया जाता है.तो चलिए जानतें हैं कि वह कौन-कौन से तरीके हैं –
Types of urine examination –
- Physical examination of urine
- Chemical examination of urine
- Microscopic examination of urine
Physical examination of urine –
यूरिन के physical examination में इन सभी बातों पर ध्यान दिया जाता है और देखा जाता है जैसे कि-
Volume –
इसमें यूरिन की मात्रा को देखा जाता है. सामान्यता एक व्यक्ति 1 दिन में 600ml से 2000ml urine बनता है और pass out करता है. यदि यूरिन की मात्रा <400 ml से कम होती है तो इसे Oliguria कहते हैं.
यदि urine 2000 ml से ज्यादा बनता है तो इसे Polyuria कहतें हैं और यदि urine ना के बराबर(<100 ml) बनता हो तो इसे Anuria कहतें हैं.इस तरह का स्थिति यूरिन से संबंधित बीमारी का संकेत देता है.
Colour –
सामान्यता urine का रंग हल्का पीला(Pale yellow) होता है. कई प्रकार के drugs लेने पर यूरिन का color बदल सकता है और यदि मूत्र का रंग भिन्न हो.
जैसे- गाढ़ा पीला, उजाला या फिर बुरा या लाल रंग का हो तो इससे भी यूरिन संबंधी बीमारियों का संकेत माना जाता है.
Odor –
Urine का odor (गंध) auromatic होता है.यह गंध volalite organic acid के कारण से होता है. यदि urine का गंध फलों के जैसा, मछलियों जैसा या अमोनिया के जैसा गंध हो तो इससे यूटीआई(UTI) इन्फेक्शन होने का खतरा होता है.
Appearance –
सामान्यत: urine clear होता है, परंतु urine में Pus cells, mucus, बैक्टीरिया और अन्य के कारण urine, turbid या cloudy दिखाई देता है.
Specific gravity – Urine का specific gravity 1.003-1.0018 तक होता है. Urino-meter से specific gravity की जांच की जाती है.
PH– Normally urine अम्लीय होता है और इसका PH मान लगभग 4.5-6.0 होता है.
Chemical examination of urine –
यूरिन का chemical examination manually और Dipstick के द्वारा भी किया जाता है. जिसमें कई सारी चीजें देखी जाती है जैसे कि-
Normally urine में sugar नहीं होता है. जब urine में sugar की मात्रा आ रही हो, तो हो सकता है उसे पहले से Diabetes or Diabetes mellitus हो या उसे Diabetes हुआ है. यह renal glycosurea के समस्या में भी बढ़ता है.
Urine protein – Normally urine में proteins नहीं होता है. यदि urine में protein आ रही है तो हो सकता है वह heavy exercise करता हो.
या nephrotic syndrome हो, Renal disease, last week of pregnancy में या उसे low urinary tract infection हो. इन conditions में urine में protein आ सकता है.
Bile salt – यदि urine routine test में bile salt आ रहा है,तो इससे liver से जुड़ी बिमारीयाँ का संकेत देता है. जैसे कि यह jaundice, hepatitis में होता है. Liver function test के द्वारा भी इसका पता लगाया जाता है.
Bile pigment – liver से जुड़ी समस्या में bile pigment urine से pass out होता है.इससे viral hepatitis और jaundice होता है.
Urobilonogen – liver संबंधित बिमारीयों में बढ़ जाता है. जैसे – viral hepatitis और jaundice में.
Hematurea(Occult blood) – यह समान्यत: urine में नही होता है. यह urine में, Hematurea, acute infection, leukemia, thrombocytopenia या hemolytic anemia के condition में pass out होता है.
Ketons bodies (Accetone) – यह urine में नहीं होता है. परन्तु जब मरीज को diabetes mellitus हो या Ketosis, starvation, certain nervous disease या prolonged diarrhea and vomiting हो तो यह urine में हो सकता है.
यूरिन डिपस्टिक (Dipstick) में अलग-अलग color के chemical strip लगे होते हैं .जब Dipstick को यूरिन में डूबाया जाता है, तो इसे 1 मिनट के अंदर देखा जाता है कि कौन से टेस्ट का रंग बदल रहा है और वह कितना बदल रहा है.यह देखकर उसका रिजल्ट बनाया जाता है.
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Microscopic examination of urine –
यूरीन माइक्रोस्कॉपी एग्जामिनेशन यूरिन में मौजूद Bacteria, रक्त और अपशिष्ट पदार्थों को सेडिमेंट करके किया जाता है.
इसके लिए यूरीन सैंपल की आवश्यकता होती है जिसे centrifuge करके सभी अपशिष्ट पदार्थों को नीचे बैठा दिया जाता है और फिर ऊपर के भाग को बहा दिया जाता है. बचे हुए सेडिमेंट से माइक्रोस्कोपिक किया जाता है.
जिसमें सामान्यता यह सभी दिखाई देतें हैं-
- Epithellial cell –
- Pus cells
- RBCs
- WBCs
- Bacteria
- Calcium oxalate
- Amorphous phosphatus.
Urine Microscopic –
RBCs
Urine में Red Blood Cells आम तौर पर गोलाकार और चमकीलें दिखाई देते है.यदि मूत्र में RBCs होता है तो इसका मतलब है कि आपको मूत्र मार्ग में चोट या रक्त स्राव हो रहा है.रजस्वला महिलाओं के मूत्र में भी रक्त आ सकता हैं | इस लिए इस समय urine की जाँच नहीं करनी चाहिए.
Pus Cells:-
Pus Cells गोलाकार होते हैं.जो लगभग 10-15 μ आकार में होते हैं और दानेदार granular और nuclei दिखाई देता है.Pus cells की उपस्थिति मूत्र में संक्रमण को दर्शाता है.
Epithelial cells:-
Squamous epithelial cells – यह ureter, Bladder और urethral से निकलते हैं.ये बड़ी आकार में होती है जिसमें अधिक मात्रा में कोशिका द्रव्य और एक छोटा सा केंद्रीय नाभिक होता है.यह महिला रोगियों में योनि और मूत्रमार्ग से आते हैं.
Multicellular epithelial cells – यह छोटी गोल सी दिखने वाली कोशिकाएं होती हैं ,जो लगभग श्वेत रक्त कण के माप की होती हैं. इनके अतिरिक्त कॉडेट इपिथीलियल कोशिका जिसमें एक पूँछ जैसी होती है भी देखे जा सकते है.यह ऊपरी मूत्रमार्ग से आती हैं.
Cystine Crystals:-
यह Crystals षष्टकोणीय चमकदार पत्ती जैसे होते हैं ,व कुछ कुछ uric acid crystal जैसे दिखते है.किन्तु यह हाइड्रोक्लोरिक एसिड में घुलनशील होते है. इसकी उपस्थिति cystinuria की सूचक हैं.
Leucine Crystals-
ये गाढ़ा ,पीले या भूरे रंग के होते हैं.वे क्षार में घुलनशील हैं वे आम तौर पर गंभीर यकृत रोग (सिरोसिस) में टाइपोसीन के साथ मूत्र में पाए जाते हैं.
Calcium carbonate crystals-
यह छोटे, रंगहीन , और जोड़े में समूहीकृत होते हैं.वे एसिटिक एसिड में घुलनशील होते हैं और जब वे विघटित हो जाते हैं तो गैस के बुलबुले बंद करते हैं.
Triple phosphates (ammonium magnesium phosphate)-
वे रंगहीन, चमकदार, prisms या ताबूत के ढक्कन की तरह होते है या एक पंख फर्न की तरह हो सकता है.
Bacteria–
ताजे मूत्र में सामान्यतः Bacteria नहीं पाए जाते परन्तु जांच से पहले अधिक देर तक पड़ा रहे तो Bacteria दिखने लगते है.यह छोटे छोटे रॉड के सामान दिखते है.
इनके अलावा और भी कई चीजें दिखाई दे सकते हैं.
आगे के पोस्ट में Physical examination of urine ,Microscopic examination of urine और Dipstick के द्वारा urine test को details में जानें.
यहाँ पढ़े 👉
Microscopic examination of urine in Hindi.
Urine culture and sensitivity test in Hindi.
Last word –
दोस्तों आज के इस पोस्ट “urine routine test in Hindi ” में आपने यूरीन रूटीन एग्जामिनेशन टेस्ट के बारे में जाना और यूरिन एग्जामिनेशन टेस्ट क्यों किया जाता है और कितने तरह से किया जाता है साथ ही आपने यह भी जाना कि urine test के abnormal result किन बिमारीयों में होता है.यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ,साथ ही अपना कमेंट करके हमें जरूर बताएं धन्यवाद…